tag:blogger.com,1999:blog-11918955.post2749056581617529677..comments2023-08-07T16:24:44.525-04:00Comments on आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......: मुक्तकअनूप भार्गवhttp://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-17190176383751955592010-12-14T08:37:40.023-05:002010-12-14T08:37:40.023-05:00‘मुक्तक विशेषांक’ हेतु रचनाएँ आमंत्रित-
देश की चर...‘मुक्तक विशेषांक’ हेतु रचनाएँ आमंत्रित-<br /><br />देश की चर्चित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ का आगामी एक अंक ‘मुक्तक विशेषांक’ होगा जिसके अतिथि संपादक होंगे सुपरिचित कवि जितेन्द्र ‘जौहर’। <br /><br />उक्त विशेषांक हेतु आपके विविधवर्णी (सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, शैक्षिक, देशभक्ति, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, शृंगार, हास्य-व्यंग्य, आदि अन्यानेक विषयों/ भावों) पर केन्द्रित मुक्तक/रुबाई/कत्अ एवं तद्विषयक सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख सादर आमंत्रित हैं।<br /> <br />इस संग्रह का हिस्सा बनने के लिए न्यूनतम 10-12 और अधिकतम 20-22 मुक्तक भेजे जा सकते हैं।<br /> <br />लेखकों-कवियों के साथ ही, सुधी-शोधी पाठकगण भी ज्ञात / अज्ञात / सुज्ञात लेखकों के चर्चित अथवा भूले-बिसरे मुक्तक/रुबाइयात/कत्आत भेजकर ‘सरस्वती सुमन’ के इस दस्तावेजी ‘विशेषांक’ में सहभागी बन सकते हैं। प्रेषक का नाम ‘प्रस्तुतकर्ता’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। प्रेषक अपना पूरा नाम व पता (फोन नं. सहित) अवश्य लिखें।<br /><br />इस विशेषांक में एक विशेष स्तम्भ ‘अनिवासी भारतीयों के मुक्तक’ (यदि उसके लिए स्तरीय सामग्री यथासमय मिल सकी) भी प्रकाशित करने की योजना है।<br /> <br />मुक्तक-साहित्य उपेक्षित-प्राय-सा रहा है; इस पर अभी तक कोई ठोस शोध-कार्य नहीं हुआ है। इस दिशा में एक विनम्र पहल करते हुए भावी शोधार्थियों की सुविधा के लिए मुक्तक-संग्रहों की संक्षिप्त समीक्षा सहित संदर्भ-सूची तैयार करने का कार्य भी प्रगति पर है।इसमें शामिल होने के लिए कविगण अपने प्रकाशित मुक्तक/रुबाई/कत्आत के संग्रह की प्रति प्रेषित करें! प्रति के साथ समीक्षा भी भेजी जा सकती है। <br /> <br />प्रेषित सामग्री के साथ फोटो एवं परिचय भी संलग्न करें। समस्त सामग्री केवल डाक या कुरियर द्वारा (ई-मेल से नहीं) निम्न पते पर अति शीघ्र भेजें-<br /> <br />जितेन्द्र ‘जौहर’<br />(अतिथि संपादक ‘सरस्वती सुमन’)<br />IR-13/6, रेणुसागर,<br />सोनभद्र (उ.प्र.) 231218.<br />मोबा. # : +91 9450320472<br />ईमेल का पता : jjauharpoet@gmail.com <br />ब्लॉग : jitendrajauhar.blogspot.comजितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-42262796146760896402009-01-27T01:18:00.000-05:002009-01-27T01:18:00.000-05:00मीठी यादों की एक निशानी देखूँजज़्बों में पहचान पुरा...मीठी यादों की एक निशानी देखूँ<BR/>जज़्बों में पहचान पुरानी देखूँ<BR/>मैं जिसमे किरदार हुआ करता था<BR/>तेरे चेहरे पे वो कहानी देखूँ ......<BR/><BR/>Waah Waah....! Bhot koob.....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-30111268432338106242009-01-26T11:32:00.000-05:002009-01-26T11:32:00.000-05:00ढलते मौसम में इक शाम सुहानी देखूँअपनी तस्वीर भी दे...ढलते मौसम में इक शाम सुहानी देखूँ<BR/>अपनी तस्वीर भी देखूँ तो पुरानी देखूँ<BR/>आरजु ऐसी न थी ये वक्त भी आ जायेगा<BR/>अपने सर पे तेरे जूतों की निशानी देखूँ<BR/><BR/>hahahahahahahahahahah<BR/>vaah- vaahद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-83508861303173548152009-01-26T11:30:00.000-05:002009-01-26T11:30:00.000-05:00वाह -वाहबहुत खूबसूरत शेर.www.dwijendradwij.blogsp...वाह -वाह<BR/><BR/>बहुत खूबसूरत शेर<BR/>.<BR/><BR/><BR/>www.dwijendradwij.blogspot.comद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-86205251049898091852009-01-15T12:44:00.000-05:002009-01-15T12:44:00.000-05:00मीठी यादों की एक निशानी देखूँजज़्बों में पहचान पुरा...मीठी यादों की एक निशानी देखूँ<BR/>जज़्बों में पहचान पुरानी देखूँ<BR/>मैं जिसमे किरदार हुआ करता था<BR/>तेरे चेहरे पे वो कहानी देखूँ ।<BR/><BR/>Wah bhot khoob......!!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-43428916183165330042008-12-27T11:38:00.000-05:002008-12-27T11:38:00.000-05:00एक पूरी की पूरी कहानी कह जाता है यह मुक्तक .....मै...एक पूरी की पूरी कहानी कह जाता है यह मुक्तक .....<BR/><BR/>मैं जिसमे किरदार हुआ करता था<BR/>तेरे चेहरे पे वो कहानी देखूँ ।<BR/><BR/><BR/>बेहद मासूम पंक्तियाँ हैं यह ............Sujata Duahttps://www.blogger.com/profile/06623926755425684604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-25956604876597830182008-12-07T05:42:00.000-05:002008-12-07T05:42:00.000-05:00भाई अनूप जी मुक्तक मन को छू गया ।रामेश्वर काम्बोज ...भाई अनूप जी <BR/>मुक्तक मन को छू गया ।<BR/>रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-2699124794990248882008-11-02T02:43:00.000-05:002008-11-02T02:43:00.000-05:00aapne khwab bunna kyoon band kar diya, likhna kyoo...aapne khwab bunna kyoon band kar diya, likhna kyoon band kar diya?<BR/><BR/> guptasandhya.blogspot.comsandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-16982386380982432202008-11-02T02:42:00.000-05:002008-11-02T02:42:00.000-05:00This comment has been removed by the author.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-2637048016913553612008-10-08T02:47:00.000-04:002008-10-08T02:47:00.000-04:00अनूप जी,आपकी रचनायें देखी। ये गम्भीरं भावबोध और सह...अनूप जी,<BR/>आपकी रचनायें देखी। ये गम्भीरं भावबोध और सहज अभिव्यक्ति की रचनायें हैं। बधाई! शुभकामनायें!<BR/> संध्याsandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-26064516080586679502008-09-07T09:43:00.000-04:002008-09-07T09:43:00.000-04:00bhaut achhabhaut achhaश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-65378818857581817552008-08-16T11:25:00.000-04:002008-08-16T11:25:00.000-04:00वाह-वाह बंधुवर,मजा आ गया..अन्य मुक्तकों की प्रतीक्...वाह-वाह बंधुवर,<BR/>मजा आ गया..<BR/>अन्य मुक्तकों की प्रतीक्षा रहेगी..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-88249014785605134322008-07-30T00:54:00.000-04:002008-07-30T00:54:00.000-04:00aur muktako ka intajar hai |aur muktako ka intajar hai |Vinaykant Joshihttps://www.blogger.com/profile/05111242447033341492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-60165898137384022782008-06-25T02:30:00.000-04:002008-06-25T02:30:00.000-04:00वाह सर जी....आप तो छा गयेवाह सर जी....आप तो छा गयेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-52134002704454796562008-06-21T02:46:00.000-04:002008-06-21T02:46:00.000-04:00बढ़िया ..ढलते मौसम में इक शाम सुहानी देखूँ अपनी तस...बढ़िया ..<BR/><BR/>ढलते मौसम में इक शाम सुहानी देखूँ <BR/>अपनी तस्वीर भी देखूँ तो पुरानी देखूँ<BR/>आरजु ऐसी न थी ये वक्त भी आ जायेगा<BR/>अपने सर पे तेरे जूतों की निशानी देखूँ<BR/><BR/>ये ज्यादा बढ़िया...neeraj tripathihttps://www.blogger.com/profile/04296986743239176622noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-42089385726195908622008-06-18T01:47:00.000-04:002008-06-18T01:47:00.000-04:00अब वाकई आपने जूता क्या सर भी तोड़ डाला :)))अब वाकई आपने जूता क्या सर भी तोड़ डाला :)))Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-4831946695814936842008-06-16T14:21:00.000-04:002008-06-16T14:21:00.000-04:00अच्छी प्रस्तुति.....गहरा ख़याल.===================...अच्छी प्रस्तुति.....गहरा ख़याल.<BR/>=======================<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-2885173284302219692008-06-16T11:50:00.000-04:002008-06-16T11:50:00.000-04:00नीरज जी, पारुल ! मुक्तक पसन्द करने के लिये धन्यवाद...नीरज जी, पारुल ! मुक्तक पसन्द करने के लिये धन्यवाद । <BR/>समीर ! उस 'कहानी की कहानी' तो कभी फ़ुरसत से सुनायेंगे । <BR/>प्रत्यक्षा ! हाँ ’रोल’ बदल जाने से कहानी कितनी बदल जाती है ? :-) । तुम्हारी ज़मीन पर चार लाइना हाज़िर हैं :<BR/><BR/>ढलते मौसम में इक शाम सुहानी देखूँ <BR/>अपनी तस्वीर भी देखूँ तो पुरानी देखूँ<BR/>आरजु ऐसी न थी ये वक्त भी आ जायेगा<BR/>अपने सर पे तेरे जूतों की निशानी देखूँ<BR/>:-)अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-35533501174523571632008-06-16T09:49:00.000-04:002008-06-16T09:49:00.000-04:00बहुत उम्दा.कभी मौका लगे तो वो कहानी भी सुनाईयेगा ज...बहुत उम्दा.<BR/><BR/>कभी मौका लगे तो वो कहानी भी सुनाईयेगा जिसमें आप किरदार थे. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-51782360494281529642008-06-16T04:38:00.000-04:002008-06-16T04:38:00.000-04:00bahut badhiyaa...bahut badhiyaa...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-87950557318127448882008-06-16T03:43:00.000-04:002008-06-16T03:43:00.000-04:00अनूप जीकितने कम शब्दों में कितनी सारी बात कह गए आप...अनूप जी<BR/>कितने कम शब्दों में कितनी सारी बात कह गए आप. वाह. बहुत खूब.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11918955.post-91733411681099865432008-06-16T02:49:00.000-04:002008-06-16T02:49:00.000-04:00वाह !(लेकिन ओह ! तेरे चेहरे पर वो कहानी देखूँकिरदा...वाह !<BR/>(लेकिन ओह ! <BR/>तेरे चेहरे पर वो कहानी देखूँ<BR/>किरदार गये वक्तों में ..था तो मैं ही <BR/>पर , अलास (अंग्रेज़ी वाला ) हीरो था कोई और <BR/>और मैं सिर्फ <BR/>कॉमेडी रोल की चार लाईना ही ..)<BR/>अब जूते चप्पल मत मारियेगा :-)Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.com