5/24/2005

एक और गीतिका


अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे ।

जब वो आदमकद हुए
सब उन्हें बौने लगे ।

ज़ख्म न देखे गये जब
अश्रू से धोने लगे ।

एक जज़्बा था अभी तक
आप तो छूने लगे ।

कब तलक ये ख्वाब देखूँ
वो मेरे होने लगे ।

कब कहानी मोड़ ले ले
आप तो सोने लगे ।


अनूप
२० मई २००५

8 comments:

Jitendra Chaudhary said...

अनूप भार्गव भाई,
आपका हिन्दी ब्लागजगत मे हार्दिक स्वागत है.
अब हमारे अनूप शुक्ला 'फुरसतिया' को भी कोई मलाल नही रहेगा, क्योंकि अब दो दो अनूप हो गये है. किसी भी प्रकार की सहायता के लिये हम बस एक इमेल की दूरी पर है.

आपसे निवेदन है कि आप अपना चिट्ठा, हमारे ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर जरूर रजिस्टर करवायें, ताकि सभी लोगो को आपकी नयी प्रविष्टियों की जानकारी मिल सके.

अनूप भार्गव said...

जितेन्द्र भाई:

आप का बहुत बहुत शुक्रिया । बस कदम रखा है तो उँगली पकड़ते पकड़ते पहुँच ही जायेंगे।
आप नें सुझाव दिया ही है तो ये भी बतायें कि
ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर दर्जी कैसे होगी ?

शेश फ़िर

अनूप

अनूप शुक्ल said...

स्वागत है हमारे नामाराशि भाई!कहो जम के हो।हम सुन रहे हैं।चिट्ठाविश्व में नामांकन हो गया-बड़ा ही तेज चैनेल है यह।

Pratyaksha said...

अभी अभी आपका चिट्ठा देखा....अब एक जगह और मिल गयी आपको पढने के लिये.....
:-))

प्रत्यक्षा

अनूप भार्गव said...

अनूप (शुक्ला) भाई:

स्वागत के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. अब अनूप के नाम से कुछ तारीफ़ हुई तो कबूल और गालियाँ मिली तो दूसरे अनूप के नाम .....

आप भी कुछ ऐसा ही कर सकते हैं :-)

अनूप

अनूप भार्गव said...

प्रत्यक्षा:

तो तुम नें ढूँढ ही लिया हमारा चिट्ठा ! सोचा था , जब कुछ दिखानें लायक होगा तब बतायेंगे !! अभी तो बस यूँ ही हाथ पाँव मार रहे हैं ।
अब लोगों को पता चल गया है तो थोडा Seriously लेना होगा , इस चिट्ठा business को ... अब तक तो घर की खेती था ....... :-)

अनूप

रवि रतलामी said...

अनूप भाई,
आपकी रचनाएँ आनंददायी हैं.
लिखते रहिए, हम पढ़ते रहेंगे.

रवि

अनूप भार्गव said...

रवि जी:

धन्यवाद.
आप की भी गज़लें पढी आप के ब्लौग पर. अच्छी लगीं.

अनूप