अनूप भार्गव भाई, आपका हिन्दी ब्लागजगत मे हार्दिक स्वागत है. अब हमारे अनूप शुक्ला 'फुरसतिया' को भी कोई मलाल नही रहेगा, क्योंकि अब दो दो अनूप हो गये है. किसी भी प्रकार की सहायता के लिये हम बस एक इमेल की दूरी पर है.
आपसे निवेदन है कि आप अपना चिट्ठा, हमारे ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर जरूर रजिस्टर करवायें, ताकि सभी लोगो को आपकी नयी प्रविष्टियों की जानकारी मिल सके.
आप का बहुत बहुत शुक्रिया । बस कदम रखा है तो उँगली पकड़ते पकड़ते पहुँच ही जायेंगे। आप नें सुझाव दिया ही है तो ये भी बतायें कि ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर दर्जी कैसे होगी ?
तो तुम नें ढूँढ ही लिया हमारा चिट्ठा ! सोचा था , जब कुछ दिखानें लायक होगा तब बतायेंगे !! अभी तो बस यूँ ही हाथ पाँव मार रहे हैं । अब लोगों को पता चल गया है तो थोडा Seriously लेना होगा , इस चिट्ठा business को ... अब तक तो घर की खेती था ....... :-)
न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं ।
8 comments:
अनूप भार्गव भाई,
आपका हिन्दी ब्लागजगत मे हार्दिक स्वागत है.
अब हमारे अनूप शुक्ला 'फुरसतिया' को भी कोई मलाल नही रहेगा, क्योंकि अब दो दो अनूप हो गये है. किसी भी प्रकार की सहायता के लिये हम बस एक इमेल की दूरी पर है.
आपसे निवेदन है कि आप अपना चिट्ठा, हमारे ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर जरूर रजिस्टर करवायें, ताकि सभी लोगो को आपकी नयी प्रविष्टियों की जानकारी मिल सके.
जितेन्द्र भाई:
आप का बहुत बहुत शुक्रिया । बस कदम रखा है तो उँगली पकड़ते पकड़ते पहुँच ही जायेंगे।
आप नें सुझाव दिया ही है तो ये भी बतायें कि
ब्लाग एग्रीगेटर चिट्ठा विश्व पर दर्जी कैसे होगी ?
शेश फ़िर
अनूप
स्वागत है हमारे नामाराशि भाई!कहो जम के हो।हम सुन रहे हैं।चिट्ठाविश्व में नामांकन हो गया-बड़ा ही तेज चैनेल है यह।
अभी अभी आपका चिट्ठा देखा....अब एक जगह और मिल गयी आपको पढने के लिये.....
:-))
प्रत्यक्षा
अनूप (शुक्ला) भाई:
स्वागत के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. अब अनूप के नाम से कुछ तारीफ़ हुई तो कबूल और गालियाँ मिली तो दूसरे अनूप के नाम .....
आप भी कुछ ऐसा ही कर सकते हैं :-)
अनूप
प्रत्यक्षा:
तो तुम नें ढूँढ ही लिया हमारा चिट्ठा ! सोचा था , जब कुछ दिखानें लायक होगा तब बतायेंगे !! अभी तो बस यूँ ही हाथ पाँव मार रहे हैं ।
अब लोगों को पता चल गया है तो थोडा Seriously लेना होगा , इस चिट्ठा business को ... अब तक तो घर की खेती था ....... :-)
अनूप
अनूप भाई,
आपकी रचनाएँ आनंददायी हैं.
लिखते रहिए, हम पढ़ते रहेंगे.
रवि
रवि जी:
धन्यवाद.
आप की भी गज़लें पढी आप के ब्लौग पर. अच्छी लगीं.
अनूप
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