8/17/2006

अहसास

तुम समन्दर का किनारा हो
मैं एक प्यासी लहर की तरह
तुम्हे चूमने के लिए उठता हूँ
तुम तो चट्टान की तरह
वैसी ही खड़ी रहती हो
मैं ही हर बार तुम्हे
बस छू के लौट जाता हूँ

2 comments:

Udan Tashtari said...

वाह, बहुत सुंदर भाव हैं, अनूप जी. बधाई.

Anonymous said...

Beautiful feelings