11/09/2007
दिवाली
पुरखो का वरदान दिवाली
अपनो से पहचान दिवाली
एक बरस में ही आती है
दो दिन की मेहमान दिवाली
हंसी खुशी की एक लहर है
मीठी सी मुस्कान दिवाली
लड्डू, पेड़े, गुंझिया बरफ़ी
इक मीठा पकवान दिवाली
जीवन की आपाधापी में
प्रश्न एक आसान दिवाली
नया बरस खुशियां लायेगा
कुछ ऐसा अनुमान दिवाली
चांद सितारे अंबर में हैं
धरती का अभिमान दिवाली
अपनों से जब दूर हो बैठे
लगती है सुनसान दिवाली
मधुर क्षणों की अनुभूति ये
कविता का उन्वान दिवाली
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दीप पर्व की मंगल कामनाओं के साथ :
रजनी-अनूप
अनुभव-कनुप्रिया
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4 comments:
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
सुंदर रचना दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
अपनों से जब दूर हो बैठे
लगती है सुनसान दिवाली
---- सच है...
फिर भी हम दूर बैठे दीपावली की शुभकामनाएँ भेजते हैं.
एक बरस में ही आती है
दो दिन की मेहमान दिवाली
..से सहमत नहीं हूँ थोड़ा सा पर फ़िर भी..
अपनों से जब दूर हो बैठे
लगती है सुनसान दिवाली
..ने दिल को छुआ. सिर्फ़ एक पर्व नहीं, जीवन को नए सिरे से साल भर के लिए उल्लासित करने का नाम है दीवाली.
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