6/24/2005
आरती का दिया है .....
आरती का दिया है तुम्हारे लिये
ज़िन्दगी को जिया है तुम्हारे लिये
एक अरसा हुआ इस को रिसते हुए
ज़ख्म फ़िर भी सिया है तुम्हारे लिये
पाप की गठरियाँ तो हैं सर पे मेरे
पुण्य जो भी किया है तुम्हारे लिये
मैनें थक के कभी हार मानी नहीं
हौसला फ़िर किया है तुम्हारे लिये
जिन्दगी को हसीं एक मकसद मिला
साँस हर इक लिया है तुम्हारे लिये
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1 comment:
aarti ka diya hai--ek achchhi gajal hai ese sangeet baddha kiya jana chahiye,
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