निगाहें नीची किये वो बैठे हैंजाने किसको चिलमन में छुपाया हैप्रत्यक्षा
Post a Comment
न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ,न ही कविता कीभाषा को जानता हूँ,लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ,क्यों कि ज़िन्दगी के चन्दभोगे हुए तथ्योंऔर सुखद अनुभूतियों को,बिना तोड़े मरोड़े,ज्यों कि त्योंकह देना भर जानता हूं ।
1 comment:
निगाहें नीची किये वो बैठे हैं
जाने किसको चिलमन में छुपाया है
प्रत्यक्षा
Post a Comment