10/22/2006

एक मुक्तक

हार कर जो न हारे, जवानी लिखो
दिल में गड़ जाये गहरी, निशानी लिखो
ख्वाब की आबरु को बचाना ही है
उन अधूरे पलों को, कहानी लिखो ।

2 comments:

अनूप शुक्ल said...

आप तो बता के कट लिये कि लिखो.कहानी लिखेगा कौन?

रंजू भाटिया said...

आधी कहानी आधी ही कही कोई तेरी मेरी बात है
वक़्त रहते इस कहानी को कोई तो पूरा लिखे
यही इस दिल का अरमान है !!